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Surajkund Mela 2025: शुरू हो गया भारतीय कला और संस्कृति का महाकुंभ मेला

 हर साल हरियाणा के फरीदाबाद जिले में आयोजित होने वाला सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प मेला भारत की समृद्ध कला, शिल्प और संस्कृति को दुनिया के सामने प्रस्तुत करता है। यह मेला 1 फरवरी से 15 फरवरी तक चलता है और इसे दुनिया का सबसे बड़ा हस्तशिल्प मेला माना जाता है।

Surajkund Mela 2025

सूरजकुंड मेले का इतिहास

इस मेले की शुरुआत 1987 में हुई थी, जब हरियाणा सरकार ने पारंपरिक भारतीय कला और शिल्प को बढ़ावा देने के लिए इसे शुरू किया।

मेले का आयोजन सूरजकुंड (फरीदाबाद) के ऐतिहासिक स्थल पर किया जाता है, जो 10वीं शताब्दी में तोमर राजाओं द्वारा निर्मित एक सुंदर जलकुंड के लिए प्रसिद्ध है।

अब यह मेला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी लोकप्रिय हो गया है, जिसमें भारत सहित 20 से अधिक देशों के कलाकार और शिल्पकार भाग लेते हैं।

सूरजकुंड मेले की विशेषताएं

1. थीम स्टेट (मुख्य राज्य) का चयन

हर साल मेले में भारत के किसी एक राज्य को थीम स्टेट के रूप में चुना जाता है। यह राज्य अपने लोक संगीत, नृत्य, खानपान और शिल्पकला का विशेष प्रदर्शन करता है।

2. हस्तशिल्प और कारीगरी का अनूठा संगम

मेला भारतीय कारीगरों और हस्तशिल्पियों के लिए एक बड़ा मंच है, जहां वे अपने हस्तनिर्मित वस्त्र, मिट्टी के बर्तन, लकड़ी की नक्काशी, ज्वेलरी, पेंटिंग और अन्य कला रूपों को प्रदर्शित करते हैं।

यहां आपको राजस्थान, गुजरात, कश्मीर, ओडिशा, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर राज्यों की पारंपरिक कला देखने को मिलती है।

3. लोक संगीत और नृत्य का रंगारंग आयोजन

मेले में हर दिन विभिन्न राज्यों के लोक नृत्य और संगीत कार्यक्रम होते हैं, जैसे कि भांगड़ा (पंजाब), गरबा (गुजरात), कथक (उत्तर प्रदेश), बिहू (असम) और घूमर (राजस्थान)।

देश-विदेश से आए कलाकार अपनी प्रस्तुतियों से मेले की शोभा बढ़ाते हैं।

4. पारंपरिक व्यंजन और फूड कोर्ट

भारतीय संस्कृति के साथ-साथ यह मेला खानपान प्रेमियों के लिए भी स्वर्ग है।

यहां आप राजस्थानी दाल बाटी चूरमा, पंजाबी छोले-भटूरे, बंगाली रसगुल्ले, दक्षिण भारतीय डोसा-इडली और विभिन्न राज्यों के पारंपरिक व्यंजन का स्वाद ले सकते हैं।

5. रोमांचक गतिविधियां और एडवेंचर स्पोर्ट्स

मेले में विभिन्न झूले, ऊंट और हाथी की सवारी, कठपुतली शो, जादूगरों के खेल, और बच्चों के लिए मनोरंजन के कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

एडवेंचर प्रेमियों के लिए रॉक क्लाइंबिंग, जिप लाइनिंग, पैराग्लाइडिंग और बोटिंग जैसी गतिविधियां भी मौजूद होती हैं।

6. अंतरराष्ट्रीय भागीदारी

यह मेला अब केवल भारत तक सीमित नहीं रहा, बल्कि एशिया, यूरोप और अफ्रीका के कई देशों के कलाकार और शिल्पकार भी इसमें हिस्सा लेते हैं।

चीन, थाईलैंड, तुर्की, श्रीलंका, मिस्र, दक्षिण अफ्रीका, नेपाल जैसे देशों की हस्तशिल्प और सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी यहां देखने को मिलती हैं।

सूरजकुंड मेले की महात्व

1. भारतीय शिल्पकारों को एक बड़ा बाज़ार मिलता है, जिससे उन्हें अपने उत्पादों की बिक्री करने और अपनी कला को पहचान दिलाने का अवसर मिलता है।

2. ग्रामीण और पारंपरिक शिल्पकला को बढ़ावा मिलता है, जिससे भारत की सांस्कृतिक धरोहर सुरक्षित रहती है।

3. पर्यटन को बढ़ावा मिलता है, जिससे हरियाणा और आसपास के राज्यों की अर्थव्यवस्था को लाभ होता है।

4. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की संस्कृति और कला का प्रचार-प्रसार होता है।

कैसे पहुंचे?

निकटतम रेलवे स्टेशन: फरीदाबाद रेलवे स्टेशन (लगभग 8 किमी दूर)

निकटतम हवाई अड्डा: इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, दिल्ली (लगभग 35 किमी दूर)

सड़क मार्ग: दिल्ली, गुड़गांव और नोएडा से बस, टैक्सी और मेट्रो द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है।

तो इस फरवरी, सूरजकुंड मेले का हिस्सा बनें और भारतीय संस्कृति की खूबसूरती को करीब से महसूस करें!

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