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1544: इंग्लैंड-स्कॉटलैंड संघर्ष का नया अध्याय

1544 में इंग्लैंड और स्कॉटलैंड के बीच संघर्ष ने एक नया मोड़ लिया जब इंग्लैंड के राजा हेनरी अष्टम ने स्कॉटलैंड पर हमला करने का आदेश दिया। यह युद्ध "रफ वूइंग" (Rough Wooing) नामक संघर्ष का हिस्सा था, जो दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव और राजनीतिक अस्थिरता का परिणाम था।

1544 –इंग्लैंड ने स्कॉटलैंड पर हमला किया, जिससे दोनों देशों के बीच संघर्ष बढ़ गया।

संघर्ष की पृष्ठभूमि

इंग्लैंड और स्कॉटलैंड के बीच लंबे समय से शत्रुता बनी हुई थी, लेकिन 1544 में यह टकराव और भी उग्र हो गया। इसके पीछे कई प्रमुख कारण थे:

  • मैरी, क्वीन ऑफ स्कॉट्स की शादी – हेनरी अष्टम चाहते थे कि स्कॉटलैंड की युवा रानी मैरी (बाद में मैरी, क्वीन ऑफ स्कॉट्स) उनके बेटे एडवर्ड से विवाह करें। इससे इंग्लैंड और स्कॉटलैंड का एकीकरण हो सकता था। लेकिन स्कॉटलैंड ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया।
  • फ्रांस और स्कॉटलैंड का गठबंधन – स्कॉटलैंड ने इंग्लैंड के बजाय फ्रांस से समर्थन लेना पसंद किया, जिससे हेनरी अष्टम नाराज हो गए। यह इंग्लैंड के लिए खतरे की घंटी थी क्योंकि इससे उनके दुश्मन फ्रांस को और मजबूती मिलती।
  • बेरविक संधि (Berwick Treaty) का उल्लंघन – इंग्लैंड को लगा कि स्कॉटलैंड ने उनकी शर्तों का पालन नहीं किया, जिससे यह संघर्ष और भड़क गया।

मुख्य घटनाएँ

  • मई 1544: हेनरी अष्टम ने स्कॉटलैंड पर हमला करने के लिए अपने सेनापति एडवर्ड सेमुर, समरसेट के ड्यूक को भेजा।
  • एडिनबर्ग पर आक्रमण: अंग्रेजी सेना ने स्कॉटलैंड की राजधानी एडिनबर्ग पर धावा बोला और शहर को भारी नुकसान पहुँचाया। कई ऐतिहासिक इमारतें जला दी गईं।
  • गांवों और कस्बों का विध्वंस: इंग्लैंड की सेना ने स्कॉटलैंड के कई शहरों और गांवों में तबाही मचाई।

युद्ध का परिणाम

  • स्कॉटलैंड को भारी नुकसान हुआ, लेकिन उन्होंने इंग्लैंड के साथ विलय के प्रस्ताव को ठुकरा दिया
  • स्कॉटलैंड ने फ्रांस से सैन्य सहायता ली, जिससे इंग्लैंड के खिलाफ उनका गठबंधन और मजबूत हो गया
  • भविष्य के संघर्षों की नींव पड़ी, जिससे इंग्लैंड और स्कॉटलैंड के बीच लंबे समय तक दुश्मनी बनी रही
  • 1603 में यूनियन ऑफ द क्राउन्स (Union of the Crowns) का मार्ग प्रशस्त हुआ, जब स्कॉटलैंड के राजा जेम्स VI इंग्लैंड के भी राजा बने।

1544 का इंग्लैंड-स्कॉटलैंड युद्ध केवल एक सैन्य संघर्ष नहीं था, बल्कि यह दोनों देशों की राजनीतिक और कूटनीतिक रणनीतियों का टकराव भी था। इस युद्ध ने स्कॉटलैंड और इंग्लैंड के संबंधों को गहरा नुकसान पहुँचाया और आगे चलकर इनके विलय की नींव रखी। इतिहास में यह युद्ध एक महत्वपूर्ण घटना के रूप में दर्ज है, जिसने ब्रिटिश द्वीपों के भविष्य को प्रभावित किया।
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