1667 का रूस-पोलैंड शांति समझौता

रूस और पोलैंड-लिथुआनिया कॉमनवेल्थ के बीच स्मोलेंस्क युद्ध (1632-1634) और फिर 1654-1667 के रूस-पोलैंड युद्ध के चलते लंबे समय तक संघर्ष जारी रहा।


सन् 1667 में रूस और पोलैंड के बीच आंधूर्व शांति संधि (Treaty of Andrusovo) पर हस्ताक्षर हुए, जिसने दोनों देशों के बीच वर्षों से चल रहे युद्ध को समाप्त किया। यह संधि रूस और पोलैंड के बीच राजनीतिक और भौगोलिक विवादों का परिणाम थी। आइए समझते हैं कि इस संधि की पृष्ठभूमि क्या थी, इसके मुख्य कारण क्या थे, और इसका प्रभाव क्या पड़ा।

शांति समझौते की पृष्ठभूमि

17वीं शताब्दी में रूस और पोलैंड-लिथुआनिया कॉमनवेल्थ (Polish–Lithuanian Commonwealth) के बीच स्मोलेंस्क युद्ध (1632-1634) और फिर 1654-1667 के रूस-पोलैंड युद्ध के चलते लंबे समय तक संघर्ष जारी रहा। इस युद्ध का मूल कारण यूक्रेन और बेलारूस के क्षेत्रों पर अधिकार को लेकर था। उस समय पोलैंड-लिथुआनिया कॉमनवेल्थ कमजोर हो चुका था और रूस इस स्थिति का लाभ उठाने के लिए तैयार था।

शांति समझौते के प्रमुख कारण

  • रूस और पोलैंड के बीच लंबे समय से जारी युद्ध - 1654 से लेकर 1667 तक रूस और पोलैंड के बीच युद्ध चला, जिससे दोनों देशों की अर्थव्यवस्था और जनसंख्या पर भारी प्रभाव पड़ा। इस युद्ध को समाप्त करने की जरूरत थी।
  • कोसैक विद्रोह (Cossack Rebellion)- 1648 में कोसैक्स (यूक्रेनी लड़ाके) ने पोलैंड के खिलाफ विद्रोह कर दिया था। रूस ने कोसैक्स का समर्थन किया, जिससे पोलैंड और रूस के बीच टकराव बढ़ गया।
  • पोलैंड की आंतरिक कमजोरियाँ- 17वीं शताब्दी के मध्य तक पोलैंड कई बाहरी आक्रमणों और आंतरिक संघर्षों से कमजोर हो चुका था। स्वीडन के साथ युद्ध (1655-1660) के कारण भी उसकी शक्ति कम हो गई थी।
  • रूस का बढ़ता प्रभाव- रूस लगातार अपनी सीमाओं का विस्तार करना चाहता था और यूक्रेन तथा बेलारूस के क्षेत्रों पर नियंत्रण पाने की कोशिश कर रहा था।
  • दोनों पक्षों की थकान- लंबे युद्ध से दोनों देशों की आर्थिक स्थिति खराब हो चुकी थी, और दोनों को शांति की जरूरत थी।

आंधूर्व शांति संधि (Treaty of Andrusovo) के प्रमुख बिंदु

1. रूस को स्मोलेंस्क और कीव मिला

  • रूस ने पोलैंड से स्मोलेंस्क और बेलारूस के कुछ हिस्से जीत लिए।
  • कीव, जो पोलैंड के नियंत्रण में था, रूस को सौंप दिया गया।
2. यूक्रेन का विभाजन

  • डेनिपर नदी के पूर्वी भाग पर रूस का नियंत्रण हो गया।
  • निपर नदी के पश्चिमी भाग पर पोलैंड का नियंत्रण रहा।

3. 13 वर्षों के लिए शांति

  • संधि के अनुसार, दोनों पक्ष 13 वर्षों तक एक-दूसरे के खिलाफ युद्ध नहीं करेंगे।

4. कोसैक स्वायत्तता

  • कोसैक लड़ाकों को सीमित स्वायत्तता दी गई, लेकिन वे रूसी नियंत्रण में आ गए।

इस संधि का प्रभाव

  • रूस का क्षेत्रीय विस्तार- इस संधि से रूस को पहली बार यूक्रेन और बेलारूस के महत्वपूर्ण हिस्से मिले, जिससे उसका पश्चिमी विस्तार शुरू हुआ।
  • पोलैंड की कमजोरी बढ़ी- इस संधि ने पोलैंड-लिथुआनिया कॉमनवेल्थ को कमजोर कर दिया, और यह धीरे-धीरे रूस, प्रशिया और ऑस्ट्रिया के हाथों बंटवारे की ओर बढ़ा।
  • रूस का शक्ति संतुलन में उभरना- रूस एक प्रमुख यूरोपीय शक्ति के रूप में उभरा और आगे चलकर पीटर द ग्रेट के नेतृत्व में उसने पश्चिमी यूरोप की ओर अपने प्रभाव को और मजबूत किया।
  • कोसैक संघर्ष जारी रहा-  कोसैक्स को सीमित स्वायत्तता मिली, लेकिन वे पूरी तरह से स्वतंत्र नहीं हो पाए, जिससे आगे कई और विद्रोह हुए।

1667 की आंधूर्व शांति संधि रूस और पोलैंड के बीच चल रहे लंबे संघर्ष का परिणाम थी। इस संधि ने रूस को पश्चिमी विस्तार का पहला बड़ा अवसर दिया, जबकि पोलैंड की स्थिति कमजोर हो गई। इस समझौते ने रूस को यूरोप की प्रमुख शक्ति बनने की राह पर आगे बढ़ाया और आने वाले वर्षों में पूर्वी यूरोप की राजनीति को बदल दिया। यह संधि सिर्फ दो देशों के बीच युद्ध की समाप्ति नहीं थी, बल्कि इसने यूरोप के शक्ति संतुलन को भी बदल दिया।

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