1928: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में नया मोड़ | 1928 in Indian Freedom Struggle

महात्मा गांधी ने बारदोली सत्याग्रह की घोषणा की, जो ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ एक महत्वपूर्ण आंदोलन था।

1928 भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में एक महत्वपूर्ण वर्ष था। इस वर्ष कई प्रमुख घटनाएँ घटीं, जिन्होंने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन को एक नई दिशा दी। साइमन कमीशन के आगमन, नेहरू रिपोर्ट और लाला लाजपत राय पर हुए अत्याचारों ने स्वतंत्रता की लड़ाई को और तेज कर दिया।

Indian Freedom Struggle

 संघर्ष की पृष्ठभूमि | Background of the Conflict

1920 के दशक में, भारत में ब्रिटिश शासन के खिलाफ असंतोष तेजी से बढ़ रहा था। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने स्वशासन (डोमिनियन स्टेटस) की मांग की थी, लेकिन ब्रिटिश सरकार इसे टाल रही थी।

  1. साइमन कमीशन (1928) का विरोध – ब्रिटिश सरकार ने भारतीय प्रशासनिक सुधारों का अध्ययन करने के लिए एक आयोग भेजा, लेकिन इसमें कोई भी भारतीय सदस्य नहीं था। इसने देशभर में व्यापक विरोध को जन्म दिया।
  1. नेहरू रिपोर्ट (1928) – भारतीय नेताओं ने ब्रिटिश सरकार को स्वशासन का एक मसौदा सौंपा, जिसे नकार दिया गया।
  1. लाला लाजपत राय पर पुलिस लाठीचार्ज – साइमन कमीशन के विरोध के दौरान लाला लाजपत राय पर लाठीचार्ज हुआ, जिससे उनकी मृत्यु हो गई।

मुख्य घटनाएँ | Key Events

  • फरवरी 1928: ब्रिटिश सरकार ने साइमन कमीशन को भारत भेजा, जिसका पूरे देश में कड़ा विरोध हुआ।
  • 30 अक्टूबर 1928: लाहौर में साइमन कमीशन का विरोध करते समय लाला लाजपत राय पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया, जिससे वे गंभीर रूप से घायल हो गए।
  • 17 नवंबर 1928: लाला लाजपत राय का निधन हो गया।
  • नेहरू रिपोर्ट का प्रकाशन: भारतीय नेताओं ने ब्रिटिश सरकार को एक संविधान का मसौदा प्रस्तुत किया, लेकिन इसे अस्वीकार कर दिया गया।

 संघर्ष का परिणाम | Results of the Struggle

  1. साइमन कमीशन के खिलाफ व्यापक विरोध: पूरे देश में ब्रिटिश शासन के खिलाफ गुस्सा और बढ़ गया।
  1. क्रांतिकारी आंदोलन को बल: भगत सिंह और उनके साथियों ने लाला लाजपत राय की मृत्यु का बदला लेने के लिए पुलिस अफसर जॉन सॉन्डर्स की हत्या कर दी।
  1. पूर्ण स्वतंत्रता की मांग: 1929 के लाहौर अधिवेशन में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने 'पूर्ण स्वराज' की मांग की।
  1. गांधीजी के नेतृत्व में आंदोलन तेज: साइमन कमीशन के विरोध और लाला लाजपत राय की शहादत से महात्मा गांधी और अन्य नेताओं ने स्वतंत्रता संग्राम को और तेज किया।

1928 का वर्ष भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक निर्णायक मोड़ साबित हुआ। साइमन कमीशन के विरोध और लाला लाजपत राय की शहादत ने क्रांतिकारी आंदोलन को नई दिशा दी और ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष को और तेज कर दिया। यह वर्ष स्वतंत्रता प्राप्ति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs) | Frequently Asked Questions

1. साइमन कमीशन का विरोध क्यों हुआ?  
  • क्योंकि इसमें कोई भी भारतीय सदस्य नहीं था और इसे भारतीयों की राय के बिना भेजा गया था।
2. लाला लाजपत राय की मृत्यु कैसे हुई?  
  • साइमन कमीशन के विरोध के दौरान हुए लाठीचार्ज में घायल होने के कारण उनकी मृत्यु हो गई।
3. नेहरू रिपोर्ट का उद्देश्य क्या था?  
  • यह भारतीय नेताओं द्वारा ब्रिटिश सरकार को दिया गया एक संविधान मसौदा था, जिसमें स्वशासन की मांग की गई थी।
4. भगत सिंह ने जॉन सॉन्डर्स को क्यों मारा?  
  • लाला लाजपत राय की मृत्यु का बदला लेने के लिए भगत सिंह और उनके साथियों ने जॉन सॉन्डर्स की हत्या कर दी।
5. 1928 का भारतीय स्वतंत्रता संग्राम पर क्या प्रभाव पड़ा?  
  • इससे आंदोलन को और तेज गति मिली और 1929 में 'पूर्ण स्वराज' की घोषणा हुई।

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