Ret Shayari 2 Line
ऐ ख़ुदा रेत के सहरा को समंदर कर दे, या छलकती हुई आँखों को भी पत्थर कर दे।
रेत सा क्युं लगता हैं प्यार तुम्हारा कभी मिला, तो मुठ्ठीभर तो कभी चुटकी भी नसीब नहीं।
न जाने क्यों रेत की तरह निकल जाते हैं हाथों से वो लोग, जिन्हें जिंदगी समझकर हम कभी खोना नहीं चाहते।
बनाकर उसने मेरे संग रेत का महल, न जाने क्यों बारिशों को खबर कर दी।
मैं तपती रेत सा, सागर की बुंद हो तुम।
लगी है प्यास तो चलो रेत निचोड़ी जाए, अपने हिस्से में कोई समंदर नहीं आने वाला।
बस एक लहर आने तक मेरी कहानी चलेगी, मैं समंदर किनारे रेत पर लिखा इक नाम हूँ।
साहिल रेत समंदर लहरें, बस्ती जंगल सहरा दरिया, खुशबू मौसम फूल दरीचे, बादल सूरज चाँद सितारे, आज ये सब कुछ नाम तुम्हारे।
थे रेत में बस घर का टीला बनाना आता था, और घर नही बन पाता था, तो गुस्से मे टीले को बिगाड़ के चले जाते थे।
जान न ले रेत का टीला हूँ मैं मेरे काँधों पे है, तामीर इमारत उस की बरसना, मैं रेत का टीला हूँ मेरी प्यास बहुत है।
रेत के टीला नही हु जनाब, जो छोटे मोटे हवा के झोंके से इधर उधर हो जाऊंगा, चट्टान हूं, जो टक्कर लेने-देने की क्षमता रखता हूं।
रेत का टीला भी पर्वत को चुनोती दे रहा है, की में भी तेरे से कम नहीं हु।
घर के सामने रेत का टीला, पार उसके खेत सजीला।
रेत के टीले सी है ज़िंदगी वक़्त की आंधी, ज़र्रा ज़र्रा उड़ाकर ले जा रही है।
रेत का टीला देखा है कभी? खड़ा रहता हैं हर कहीं।
फिसल गया वक्त रेत बनकर लम्हो के बन्द दरिचों से, वक्त पर वक्त भी ना सीखा गिला क्या करें नसीबों से।
वक्त की रेत मुठ्ठी से फिसलती क्यूँ है, जिदंगी ऱोज नए रंग बदलती क्यूँ है, मुकददर के साँचें में ढलती क्यूँ है, तकदीरों की कलम फिर पिघलती क्यूँ है।
वक्त तो रेत है फिसलता ही जायेगा, जीवन एक कारवां है चलता चला जायेगा, मिलेंगे कुछ खास इस रिश्ते के दरमियां, थाम लेना उन्हें वरना कोई लौट के न आयेगा।रेत शायरी Urdu
सुलगती रेत की क़िस्मत में दरिया लिख दिया जाए, मुझे इन झील सी आँखों में रहना लिख दिया जाए।
वक्त की रेत हाथों से कुछ यूं फिसल गई, जिंदगी समझे जब तक जिंदगी निकल गई।
रेत पर नाम लिखते नही रेत पर लिखे नाम कभी टिकते नही, लोग कहते हैं पत्थर दिल है हम लेकिन पत्थरों पर लिखे नाम कभी मिटते नही।
सुलगती रेत में पानी की अब तलाश नहीं, मगर ये कब कहा हमने के हमें प्यास नही।रेत शायरी 2 Line
रेत की दीवार ढह रहे हैं वक़्त की धारा में बह रहे हैं, जिनको नाज़ था अपनी जवानी पर कभी वे अपनी कब्र में भी उजड़ रहे हैं।
रेत पर थक के गिरा हूँ तो हवा पूछती है, आप इस दश्त में क्यूँ आए थे वहशत के बग़ैर।
हर पल कुछ रेत फिसलती है, वैसे ही जैसे जिंदगी गुजरती है।
रेत की लहरों से दरिया की रवानी माँगे, मैं वो प्यासा हूँ जो सहराओं से पानी माँगे।रेत Shayari
समंदर मे बसे रेत की तरह ता-उम्र तेरे दिल मे रहना चहता हू, बादल से गिरे बूंद की तरह तेरे समंदर जैसे दिल मे फ़ना होना चहता हू, तू बेशक ठुकरा सकती है मोहब्बत को मेरे, मै बस एक किनारे की तरह हमेशा के लिये तुझे मेहसूस करना चाहता हू।
रूठ जाओ कितना भी पर मना लेंगे, दूर जाओ कितना भी बुला लेंगे, दिल आखिर दिल है कोई सागर की रेत नही, जो लिख के नाम आपका मिटा देंगे।
यूँ ही बेवजह एक तस्वीर रेत पर उकेरती हैं उँगलियाँ, लिख कर तेरा नाम जमीं पर मिटा देती हैं उँगलियाँ, है मालूम कि लहरों को नहीं रास ये आने वाला, चंद लम्हों में जी भर के एहसास-ए-मोहब्बत जी लेती हैं उँगलियाँ।रेत शायरी 2 Line
हो इश्क का रंग सफेद पिया, ना छल ना कपट ना भेद पिया, सौ रंग मिले तू इक्क वर्गा, आतिश होया रेत पिया, रेत पिया।
ज़िन्दगी पल-पल ढलती है, जैसे रेत मुट्ठी से फिसलती है, शिकवे कितने भी हो हर पल, फिर भी हँसते रहना, क्योंकि ये ज़िन्दगी जैसी भी है, बस एक ही बार मिलती है।
रेत की जरूरत रेगिस्तान को होती है, सितारों की जरूरत आसमान को होती है, आप हमें भूल न जाना, क्योंकी, दोस्त की जरूरत हर इंसान को होती है।
रेत की जरूरत रेगिस्तान को होती है, फूलों की जरूरत गुलिस्तान को होती है, तुम मुझे कभी भूल ना जाना मेरे यार, क्योंकि अच्छे दोस्त की जरूरत हर इन्सान को होती है।