Rahnuma Shayari 2 Line
कत्ल कर के वो कातिल का नाम पूछते है, दर्द देकर वो दवा का नाम पूछते है, मार गये हम उनकी इस अदा पे, होकर मेरे खुदा वो मेरे रहनुमा का नाम पूछते है।
ख़ुशी और गम के अलावा भी है ज़िन्दगी। एक ख़ुदा रहनुमा है मेरा और एक मुकमल्ल साकी है, मेरे अलावा कोई मेरा गैर नहीं यहां, बस इस दिल को ख़ुद की तलाश बाक़ी है।Rahnuma-Shayari-2-Line
अगर पानी है मंजिल तो अपना रहनुमा खुद बनो, वो अक्सर भटक जाते हैं जिन्हें सहारा मिल जाता है।
रहनुमा थे जो मदारी हो गए, लुट गए राही भिखारी हो गए, एकता की नीव के दुश्मन सभी, फावड़े गेती तगारी हो गए।
दिल जहाँ ले जाए दिल के साथ जाना चाहिए, इस से बढ़ कर और कोई रहनुमा नहीं होता।
वो मेरा रहनुमा दिलबर दिखाई देता है, हमेशा हाँथ में खंजर दिखाई देता है, गले मिलता है गला काटने के मकसद से, दुश्मनों से बहुत बद्तर दिखाई देता है।रहनुमा शायरी in Urdu
जो ख़ुद वाक़िफ़ नहीं मंज़िल से अपनी, ख़ुदा बख़्शे हमारा रहनुमा है।
रहनुमा सब ही बने हैं, राह चलता ख़ुद न कोई, नसीहतें दें हर घड़ी जो, मानता है ख़ुद न कोई, इंसानियत ईमानदारी, का है दावा तो सभी का, पर जफ़ा अपनों से भी है, ग़ैर की सोचे न कोई।
सब के चेहरे हैं जैसे लुटा कारवाँ, रहनुमा कौन है कुछ पता तो चले।
रहनुमा-ऐ-सनम बदनामी के डर से वाक़िफ़ थे, सब चले गये मुझे दफ़ना के, वो"सब के बाद मेरे पास रोने आया।रहनुमा शायरी 2 लाइन - रहनुमा Status
कभी कुछ ऐसा भी कर दो तुम पर जांनिसार हो जाये, रहनुमा तुम पर भी मेरा थोड़ा सा एतबार हो जाये।
दुनिया की बातों पर ना जाना तुम, मुझको थामे रहना तुम, मैं अधूरी हूँ तुम्हारे बिना, छूकर पूरा करना तुम, कोई नहीं है तुम्हारे सिवा, मेरे हो, याद रखना तुम, मेरी रूह, मेरी जान के, हो हकदार, रहनुमा तुम।
राग गाते रहे मुस्कुराते रहे, रहनुमा बन गए हमसफर आ गए।
कौन रहबर हो इश्क़ की रह में, आप ही अपने रहनुमा हैं हम।रहनुमा शायरी 2 लाइन
रह्नुमा हो तुम दिल के मेरे, लिख दिया दिल नाम तेरे, दिल है तो मेरे अन्दर लेकिन, धड़कता तेरे नाम से है कान्हा।
रहनुमा हो जमाने की, जीने के अन्दाज सी तुम हो, नजर हैं कातिलाना, बोतलों में बन्द शराब सी तुम हो।
जैसा दिल जहाँ ले जाए दिल के साथ जाना चाहिए, इस से बढ़ कर और कोई रहनुमा होता नहीं।
मुझे ऐ रहनुमा अब छोड़ तन्हा, मैं ख़ुद को आज़माना चाहती हूँ।रहनुमा Shayari
सियासी रहनुमाओं की बदौलत, हमारा ख़ून सस्ता हो गया है।
कही हुई हर बात अब दिल पे लानी है, वफ़ा के नाम पर लिखी हर कहानी है, तुम रहनुमा बन जाओ इस दिल के ही, मैं तुझमें समा जाऊँ यही ज़िन्दगानी है।
है कोई नज़्म मोहब्बत, मेरे रहनुमा, जिसे सुनकर दिल पे इख़्तियार नहीं, है कोई पासिंदा गुलिस्ता का, मेरे सनम, की हमको फूलों की महक से इंकार नहीं।
लोग सुनते रहे दिमाग़ की बात, हम चले दिल को रहनुमा कर के।
चल तू मुझे अपना रहनुमा बना दे, इसी बहाने मेरी ज़िन्दगी भी खुशनुमा बना दें।