"Pyaas Shayari"
यूं समझ लो कि, लगी प्यास गज़ब की थी और पानी में जहर भी था, पीते तो मर जाते और न पीते तो भी मर जाते।
इश्क़ हूँ मुकमल हूँ मुझ में समा तो सही, रूह की प्यास हूँ ताउम्र की आस हूँ सीने से लगा तो सही।
रूहानी इश्क़ होता है जब , जिस्म की प्यास नहीं होती, हवा का रंग नहीं होता, इश्क़ की जात नहीं होती।
उसे छुआ तो दिसम्बर में प्यास लगने लगी, कि उसके ज़िस्म का मौसम तो जून जैसा है।
कितनी जल्दी ज़िन्दगी गुज़र जाती है, प्यास बुझती नहीं बरसात चली जाती है, तेरी याद कुछ इस तरह आती है, नींद आती नहीं मगर रात गुज़र जाती है।
हर प्यास बरसात से नहीं बुझती, कुछ प्यास तेरी मोहब्बत की भी है।
बुझी न प्यास तो यूँ ख़त्म ज़िंदगी कर ली, नदी ने जा के समंदर में ख़ुदकशी कर ली।
बेवजह हम वजह ढूंढ़ते हैं तेरे पास आने को, ये दिल बेकरार है तुझे धड़कन में बसाने को, बुझी नहीं प्यास इन होंठों की अभी, न जाने कब मिलेगा सुकून तेरी इस दीवानी को।
मंज़िल तक प्यासा ही जाऊँगा, मेरे सफ़र में कोई दरियां नहीं लिखा।
सवाल पानी का नहीं प्यास का है, सवाल मौत का नहीं सांसो का है, दोस्त तो बहुत है दुनिया में, लेकिन सवाल दोस्ती का नहीं विश्वास का है।
प्यास बुझानी है तो उड़ जा पंछी, शहर की सरहदों से दूर, यहाँ तो तेरे हिस्से का पानी भी, प्लास्टिक की बोतलों में बंद है।
बिखरती रही ज़िंदगी बून्द दर बून्द, मगर ईश्क फिर भी प्यासा ही रहा।
मेरे इस दिल में ऐ प्यार तेरे ही, ख्वाब सजाऊंगा यूँ एक बार आजमा के देख तेरे, दिल में बस जाऊंगा मैं तो प्यार का हूँ प्यासा जो तेरे, आगोश में मर जाऊॅंगा।
दर्द दर्द में कोई मौसम प्यारा नही होता, दिल हो प्यासा तो पानी से गुजारा नही होता, कोई देखे तो हमारी बेबसी, हम सभी के हो जाते हैं , पर कोई हमारा नही होता।
ये दिल है मुहब्बत का प्यासा , इस दिल का तड़पना क्या कहिये , मायूस है हम , मगरूर हो तुम, और इस दिल पर मिटना क्या कहिये।
इतु सी चाहत. इतु सी ख़ुशी, इतु सी ख्वाहिश, इतु सी उमंग. इतु सी तेरी प्यास, और औरऔर ढेर सारी तेरी यादे।
खुदा करे मोहब्बत के रेगिस्तान में, तुझे लगे मेरे इश्क़ की प्यास, और तू तड़पे मेरे लिए प्यासे की तरह।
सूखे होंठों से ही होती है मीठी बातें, एक बार प्यास बुझ जाए तो, अल्फ़ाज़ और इंसान, दोनों बदल जाते हैं।
भीगे होंठ तेरे देख कर प्यासा दिल, मेरा बोला है न हिला जो आज तक वो ईमान मेरा डोला है।प्यास शायरी Urdu
होंठों पे आज उनका नाम आ गया, प्यासे के हाथ में आज जाम आ गया, डोले कदम तो गिरे उनकी बाहों में, जाके, आज तो पीना भी हमारे काम आ गया।
ये मीठा मीठा दर्द हैं ये मीठी मीठी प्यास हैं, तेरे इश्क़ का ये कैसी आस हैं।
समन्दर को ढूंढती है नदी, ना जाने ये कैसी प्यास है, देखो तो पानी को ही पानी की तलाश है।
ये कैसी लगन तुमने लगा दी, सोचा था प्यास बुझेगी तुमने तो और बढ़ा दी।Pyaas-Shayari-Urdu
पानी से प्यास ना बुझी, तो मैखाने की तरफ चल निकला, सोचा शिकायत करूँ तेरी खुदा से, पर खुदा भी तेरा आशिक़ निकला।
हर्फ़ अपने ही मआनी की तरह होता है, प्यास का ज़ाइक़ा पानी की तरह होता है।
वो मजबूरी मौत है जिस में कासे को, बुनियाद मिले प्यास की शिद्दत जब बढ़ती है, डर लगता है पानी से मोहसिन असरार।
कमाल-ए-तिश्नगी ही से बुझा लेते हैं प्यास अपनी, इसी तपते हुए सहरा को हम दरिया समझते हैं।
प्यास बढ़ती जा रही है बहता दरिया देख कर, भागती जाती हैं लहरें ये तमाशा देख कर।
दो दरिया भी जब आपस में मिलते हैं, दोनों अपनी अपनी प्यास बुझाते हैं।
बहुत ग़ुरूर है दरिया को अपने होने पर, जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियाँ उड़ जाएँ।
शिकवा कोई दरिया की रवानी से नहीं है, रिश्ता ही मिरी प्यास का पानी से नहीं है।
प्यास दिल की बुझाने वो कभी आया भी नहीं, कैसा बादल है जिसका कोई साया भी नहीं, बेरुखी इससे बड़ी और भला क्या होगी, एक मुद्दत से हमें उसने सताया भी नहीं।