जरूरी नहीं ये बिल्कुल कि तू मेरी हर बात को समझे, आरजू बस इतनी है कि तू मुझे कुछ तो समझे..
बड़ी आरज़ू थी मोहब्बत को बेनकाब देखने की, दुपट्टा जो सरका तो जुल्फें दीवार बन गयी..आरज़ू Shayari
ख़त लिखूं तो क्या लिखूं आरजू मदहोश है, ख़त पे गिर रहे हैं आंसू और कलम खामोश है..
कुछ आग आरज़ू की उम्मीद का धुआँ कुछ, हाँ राख ही तो ठहरा अंजाम जिंदगी का..
आरज़ू मेरी, चाहत तेरी तमन्ना मेरी, उल्फत तेरी, इबादत मेरी, मोहब्बत तेरी बस तुझ से तुझ तक है दुनिया मेरी..
आरज़ू हसरत और उम्मीद शिकायत आँसू, इक तिरा ज़िक्र था और बीच में क्या क्या निकला..आरज़ू शायरी Hindi
तुझे पाने की आरज़ू में तुझे गंवाता रहा हूँ, रुस्वा तेरे प्यार में होता रहा हूँ, मुझसे ना पूछ तू मेरे दिल का हाल, तेरी जुदाई में रोज़ रोता रहा हूँ..
दस्तक सुनी तो जाग उठा दर्दे आरज़ू, अपनी तरफ क्यों आती नहीं प्यार की हवा..
मिलने से भी अजीब है मिलने की आरज़ू , है वस्ल से भी ज्यादा मज़ा इंतज़ार में..
आरज़ू ये नहीं कि ग़म का तूफ़ान टल जाये, फ़िक्र तो ये है कि कहीं आपका दिल न बदल जाये, कभी मुझको अगर भुलाना चाहो तो, दर्द इतना देना कि मेरा दम ही निकल जाये..आरज़ू Shayari
थाम लेना हाथ मेरा कभी पीछे जो छूट जाऊँ, मना लेना मुझे जो कभी तुमसे रूठ जाऊँ, मैं पागल ही सही मगर मैं वो हूँ, जो तेरी हर आरजू के लिये टूट जाऊँ..
ऐसा नहीं है कि अब तेरी जुस्तजू नहीं रही, बस टूट कर बिखरने की आरज़ू नहीं रही..
ऐ मौत तुझे भी गले लगा लूँगा जरा ठहर, अभी है आरज़ू सनम से लिपट जाने की..
तुझसे मिले न थे तो कोई आरजू न थी, देखा तुम्हें तो तेरे तलबगार हो गये..आरज़ू शायरी 4 लाइन
ना जी भर के देखा न कुछ बात की, बङी आरजु थी मुलाकात की…
इक वक़्त था कि दिल को सुकूँ की तलाश थी, और अब ये आरज़ू है कि दर्द-ए-निहाँ रहे..
जीने के आरजू में मरे जा रहे है लोग, मरने के आरजू में जिया जा रहा हु मै..
हर बार उसी से गुफ़्तगू सौ बार उसी की आरज़ू, वो पास नहीं होता तो भी रहता है मेरे रूबरू..आरज़ू Statusआरज़ू शायरी 2 लाइन
छोड दी हमने हमेशा के लिए उसकी आरजू करना, जिसे मोहब्बत की कद्र ना हो उसे दुआओ मेक्या मांगना..
वो वक़्त गुजर गया जब मुझे तेरी आरज़ू थी, अब तू खुदा भी बन जाए तो मै सजदा न करूँ..
तेरा ख़याल तेरी आरजू न गयी, मेरे दिल से तेरी जुस्तजू न गयी, इश्क में सब कुछ लुटा दिया हँसकर मैंने, मगर तेरे प्यार की आरजू न गयी..
एक पत्थर की आरजू करके, खुदको ज़ख्मी बना लिया मैंने.. आरज़ू तेरी बरक़रार रहे, दिल का क्या है रहे न रहे..आरज़ू शायरी Hindi
कभी कभी सोचता हूँ आखिर यहाँ कौन जीत गया, मेरी आरज़ू उसकी ज़िद या फिर मोहब्बत?
न किसी के दिल की हूँ आरज़ू न किसी नज़र की हूँ जुस्तजू, मैं वो फूल हूँ जो उदास हो न बहार आए तो क्या करूँ..
ना खुशी की तलाश है ना गम-ए-निजात की आरज़ू, मै ख़ुद से ही नाराज हूँ तेरी नाराजगी के बाद..
मुझे यह डर है तेरी आरज़ू न मिट जाये, बहुत दिनों से तबियत मेरी उदास नहीं..आरज़ू Shayari
ख़राब-ए-दहर न मैं ख़ुद हुआ न तू ने किया, जो कुछ किया तिरे मिलने की आरज़ू ने किया..
आरजू बस इतनी सी है, जो चाहत थी बो बस एक, बार फिर से मिले यही बस, एक आरजू दिल में बसी है..आरज़ू शायरी in Urdu
दिल में हर किसी का अरमान नहीं होता हर कोई दिल का मेहमान नहीं होता,
एक बार जिसकी आरजू दिल में बस जाती है, उसे भुला देना इतना आसान नहीं होता..
आज तक दिल की आरज़ू है वही फूल मुरझा गया है बू है वही..
आरज़ू होनी चाहिए किसी को याद करने की, लम्हें तो अपने आप ही मिल जाते हैं.आरज़ू शायरी 4 लाइन
कौन पूछता है पिंजरे में बंद पंछियों को, याद वही आते है जो उड़ जाते है..
आरजू थी की तेरी बाँहो मे दम निकले, लेकिन बेवफा तुम नही बदनसीब हम निकले..
तेरे सीने से लगकर तेरी आरज़ू बन जाऊं, तेरी साँसों से मिलकर तेरी खुशबु बन जाऊं..
ये हवा, ये रात ये चाँदनी तेरी एक अदा पे निसार हैं, मुझे क्यों ना हो तेरी आरजू तेरी जुस्तजू में बहार है..आरज़ू शायरी in Urdu
आने लगा हयात को अंजाम का ख्याल, जब आरजुएं फैल-कर इक दाम बन गयीं..
ये तेरे इश्क का कितना हसीन एहसास है, लगता है जैसे तू हर पल मेरे पास है..आरज़ू शायरी 4 लाइन
मोहब्बत तेरी दीवानगी बन चुकी है मेरी, अब जिंदगी की आरजू सिर्फ तुम्हारा साथ है..
आरज़ू ये है के इज़हार-ए-मोहब्बत कर दें, अलफ़ाज़ चुनते हैं तो लम्हात बदल जाते हैं..
तेरे इश्क का कितना हसीन एहसास है, लगता है जैसे तु हर पल मेरे पास है..
मोहब्बत तेरी दिवानगी बन चुकी है मेरी, और अब जिन्दगी की आरजू बस तुम्हारे साथ है..आरज़ू Statusआरज़ू शायरी 2 लाइन
तेरी जुस्तजू तेरी आरज़ू, मेरे दिल में दिलनशीं तू ही तू, तेरा ही ख़याल है रात-दिन, मेरी सोच में मकीं तू ही तू..
ये आरज़ू थी के ऐसा भी कुछ हुआ होता, मेरी कमी ने तुझे भी रुला दिया होता..आरज़ू शायरी in Urdu
मैं लौट आता तेरे पास एक लम्हे में, तेरे लबों ने मेरा नाम तो लिया होता..
तेरे सीने से लगकर तेरी आरज़ू बन जाऊं, तेरी साँसों से मिलकर तेरी खुशबु बन जाऊं..
जीने की आरज़ू है तो जी चट्टानों की तरह, वरना पत्तों की तरह तुझको हवा ले जायेगी..
ये आरज़ू थी तुझे गुल के रू-ब-रू करते हम और बुलबुल-ए-बेताब गुफ़्तुगू करते..Aarzoo Shayari 2 Line
मरते हैं आरज़ू में मरने की, मौत आती है पर नहीं आती.. जब कोई नौजवान मरता है, आरज़ू का जहान मरता है..
दिल की आरज़ू थी कोई दिल रूवा मिले, हकीकत न सही पर सपनों में ही मिलें..आरज़ू Shayari
तुम आरजू तो करो मोहब्बत करने की, हम इतने भी गरीब नहीं की मोहब्बत ना दे सके..
मुददत से थी किसी से मिलने की आरज़ू खुवाइश ए दिदार में सब कुछ भुला दिया..
किसी ने दी खबर वो आएंगे रात को, इतना किया उजाला अपना घर तक जला दिया..
ये ज़िन्दगी तेरे साथ हो, ये आरज़ु दिन रात हो, मैं तेरे संग संग चलूँ, तू हर सफर में मेरे साथ हो..आरज़ू शायरी Hindi
आरजू थी तुम्हारी तलब बनने की, मलाल ये है कि तुम्हारी लत लग गयी..
कुछ आग आरज़ू की उम्मीद का धुआँ कुछ हाँ राख ही तो ठहरा अंजाम जिंदगी का..आरज़ू शायरी 4 लाइन स
ाँस रूक जाये भला ही तेरा इन्तज़ार करते-करते तेरे दीदार की आरज़ू हरगिज कम ना होगी..
न किसी के दिल की हूँ आरज़ू न किसी नज़र की हूँ जुस्तजू, मैं वो फूल हूँ जो उदास हो न बहार आए तो क्या करूँ..
किसको ख्वाहिश है ख्वाब बनके पलकों पे सजने की, हम तो आरजू बनके तेरे दिल में बसना चाहते हैं..
सिलसिला वफाओं का तुम जारी रखना, आरज़ू मिलन की हम पूरी करते हैं..आरज़ू शायरी in Urdu
आरज़ू तेरी बरक़रार रहे दिल का क्या है रहा रहा न रहा..
तेरे इश्क का कितना हसीन एहसास है, लगता है जैसे तु हर पल मेरे पास है..आरज़ू शायरी 4 लाइन
मोहब्बत तेरी दिवानगी बन चुकी है मेरी, और अब जिन्दगी की आरजू बस तुम्हारे साथ है..
आरज़ू होनी चाहिए किसी को याद करने की, लम्हे तो खुद-व-खुद मिल जाया करते हैं..
आज खुद को तुझमे डुबोने की आरज़ू है, क़यामत तक सिर्फ तेरा होने की आरज़ू है..
किसने कहा गले से लगा ले मुझको मग़र.. तेरी गोद में सर रखकर सोने की आरज़ू है..आरज़ू Statusआरज़ू शायरी 2 लाइन
ज़िन्दगी की आखरी आरजू बस यही हैं, तू सलामत रहें दुआँ बस यही हैं.. खुल गया उन की आरज़ू में ये राज़, ज़ीस्त अपनी नहीं पराई है..
अब तुझसे शिकायत करना मेरे हक मे नहीं, क्योंकि तू आरजू मेरी थी पर अमानत शायद किसी और की..आरज़ू शायरी in Urdu
वो हादसे भी दहर में हम पर गुज़र गए, जीने की आरज़ू में कई बार मर गए..
ख़ामोश सा शहर और गुफ़्तगू की आरज़ू, हम किससे करें बात कोई बोलता ही नही..
मेरे जीने की ये आरजू तेरे आने की दुआ करे, कुछ इस तरह से दर्द भी तेरे सीने में हुआ करे।
सितारों की महफ़िल ने करके इशारा, कहा अब तो सारा जहाँ है तुम्हारा, मुहब्बत जवाँ हो खुला आसमाँ हो, करे कोई दिल आरजू और क्या..Aarzoo Shayari 2 Line
इंतज़ार की आरज़ू अब खो गयी है, खामोशियो की आदत हो गयी है, न सीकवा रहा न शिकायत किसी से, अगर है तो एक मोहब्बत, जो इन तन्हाइयों से हो गई है..
छोड दी हमने हमेशा के लिए उसकी आरजू करना, जिसे मोहब्बत की कद्र ना हो उसे दुआओ मे क्या मांगना..
आँखो की चमक पलकों की शान हो तुम, चेहरे की हँसी लबों की मुस्कान हो तुम, धड़कता है दिल बस तुम्हारी आरज़ू मे, फिर कैसे ना कहूँ मेरी जान हो तुम..
है आरज़ू एक रात तुम आओ ख्वाब में, बस दुआ है उस रात कि सुबह न हो..
उम्र-ए-दराज़ मांग के लाये थे चार दिन, दो आरज़ू में कट गए दो इंतजार में..
तुम्हारी आरज़ू मे मैने अपनी आरज़ू की थी ख़ुद अपनी जुस्तुजू का आप हासिल हो गया हूँ मै..
कटती है आरज़ू के सहारे ज़िन्दगी कैसे कहूँ किसी की तमन्ना नहीं..
कैसी ख़्वाहिश कौन-सी आरज़ू... वक़्त ने जो थमा दिया वही लेकर चल दिए..
हम खुदा थे गर न होता दिल में कोई मुद्दा, आरजुओं ने हमारी हमको बन्दा कर दिया..
न खुशी की तलाश है न गम-ए-निजात की आरजू, मैं खुद से भी नाराज़ हूँ तेरी नाराजगी के बाद..
साक़ी मुझे भी चाहिए इक जाम-ए-आरज़ू, कितने लगेंगे दाम ज़रा आँख तो मिला..
ज़रा शिद्दत से चाहो तभी होगी आरज़ू पूरी, हम वो नहीं जो तुम्हे खैरात में मिल जायेंगे..
हे आरजू की एक रात तुम आओ ख्वाबोँ मेँ, बस दुआ हे उस रात की कभी सुबह न हो..
ग़म-ए-ज़माना ने मजबूर कर दिया वर्ना, ये आरज़ू थी कि बस तेरी आरज़ू करते..
हम क्या करें अगर न तिरी आरज़ू करें, दुनिया में और भी कोई तेरे सिवा है क्या..
बहुत अज़ीज़ थी ये ज़िंदगी मगर हम लोग, कभी कभी तो किसी आरज़ू में मर भी गए..
ख़ामोश सा शहर और गुफ़्तगू की आरज़ू, हम किससे करें बात कोई बोलता ही नही..
तेरी आरज़ू मेरा ख्वाब है, जिसका रास्ता बहुत खराब है, मेरे ज़ख्म का अंदाज़ा न लगा, दिल का हर पन्ना दर्द की किताब है..
साँस रूक जाये भला ही तेरा इन्तज़ार करते-करते, तेरे दीदार की आरज़ू हरगिज कम ना होगी..
काश की मुझे मुहब्बत ना होती काश की मुझे तेरी आरज़ू ना होती, जी लेते यू ही ज़िंदगी को हम तेरे बिन काश की ये तड़प हमे ना होती..
उलझी सी ज़िन्दगी को सवारने की आरजू में बैठे हैं, कोई अपना दिख जाए शायद उसे पुकारने को बैठे है..
तमन्ना है मेरी कि आपकी आरज़ू बन जाऊं, आपकी आँख का तारा ना सही आपकी आँख का आंसू बन जाऊं..
तेरे सीने से लगकर तेरी आरज़ू बन जाऊ, तेरी साँसों से मिलकर तेरी खुशबू बन जाऊ, फासले न रहें कोई तेरे मेरे दरमियाँ, मैं मैं न रहूँ बस तू ही तू बन जाए..
आरज़ू थी कि एक लम्हा जी लूँ तेरे कन्धे पे सर रख के, मग़र ख्वाब तो ख्वाब हैं पूरे कब होते हैं?
डरता हूँ देख कर दिल-ए-बे-आरज़ू को मैं, सुनसान घर ये क्यूँ न हो मेहमान तो गया..
इस लिए आरज़ू छुपाई है, मुँह से निकली हुई पराई है..
रखी न होती जो कुछ आरजू मोहब्बत की, दिल-ओ-दिमाग़ से हम भी हिले नहीं होते..
आरजू इश्क़ मोहब्बत इसमे कभी आना नहीं, जीना है अगर शान से तो किसी से दिल लगाना नहीं..
आरज़ू यह नहीं कि ग़म का तूफ़ान टल जाए, फ़िक्र तो यह है कि कहीं आपका दिल न बदल जाए, कभी मुझको अगर भुलाना चाहो तो, दर्द इतना देना कि मेरा दम निकल जाए..
कोई गिला कोई शिकवा जरा रहे तुमसे, ये आरजू है कि इक सिलसिला रहे तुमसे..
ख्वाइश बस इतनी सी है की तुम मेरे लफ़्ज़ों को समझो, आरज़ू ये नही की लोग वाह वाह करें..
लुत्फ़ दूना हो जो दोनों घर मिरे आबाद हों, तू रहे पहलू में तेरी आरज़ू दिल में रहे..
बहाने और भी होते जो ज़िंदगी के लिए, हम एक बार तिरी आरज़ू भी खो देते..
यह आरजू नहीं कि किसी को भुलाएं हम, न तमन्ना है कि किसी को रुलाएं हम..
कोई गिला कोई शिकवा ना रहे आपसे यह आरज़ू है कि सिलसिला रहे आपसे, बस इस बात की बड़ी उम्मीद है आपसे खफा ना होना अगर हम खफा रहें आपसे..
आरज़ू, हसरत, तमन्ना और ख़ुशी कुछ भी नही, ज़िन्दगी में तू नही तो ज़िन्दगी कुछ भी नही..
आरज़ू ज़िन्दगी हसरत तमन्ना कटती है आरज़ू के सहारे ज़िन्दगी मत पूछो कैसे, गुजरता है हर पल तुम्हारे बिना, कभी मिलने की हसरत कभी देखने की तमन्ना..
ऐसा नहीं की ज़िन्दगी में कोई आरजू ही नहीं, पर वो ख्वाब पूरा कैसे करूँ जिसमे तू ही नहीं..
ये हवा, ये रात ये चाँदनी तेरी एक अदा पे निसार हैं, मुझे क्यों ना हो तेरी आरजू तेरी जुस्तजू में बहार है..
एक पत्थर की आरजू करके, खुदको ज़ख्मी बना लिया मैंने..
थाम लेना हाथ मेरा कभी पीछे जो छूट जाऊँ मना लेना मुझे जो कभी तुमसे रूठ जाऊँ, मैं पागल ही सही मगर मैं वो हूँ जो तेरी हर आरजू के लिये टूट जाऊँ..
ना खुशी की तलाश है ना गम-ए-निजात की आरज़ू.. मै ख़ुद से ही नाराज हूँ तेरी नाराजगी के बाद..
साक़ी मुझे भी चाहिए इक जाम-ए-आरज़ू , कितने लगेंगे दाम ज़रा आँख तो मिला..
क्या वो ख़्वाहिश कि जिसे दिल भी समझता हो हक़ीर, आरज़ू वो है जो सीने में रहे नाज़ के साथ..
सुनो ना अरमानों को यूँ ही मचलने दो, आरजू मिलने की यूँ ही बरकरार रखना, यह जरूरी तो नही मुलाकत मुमकिंन हो, मगर रूह से इश्क़ को यूँही आबाद रखना..
आरजू यह है कि इजहार ए मोहब्बत कर दें, अल्फाज चुनते हैं तो लम्हात बदल जाते हैं..
आरज़ू है कि तू यहाँ आए और फिर उम्र भर न जाए कहीं..
आरज़ू वस्ल की रखती है परेशाँ क्या क्या क्या बताऊँ कि मेरे दिल में है अरमाँ क्या क्या..